अमेरिका ने सीरिया और इराक़ में ईरान से जुड़े ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं. यह कार्रवाई बीते रविवार को जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में की गई है.
अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमान ने कहा है कि इन हमलों में ईरान के इस्लामिक रेवल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के ‘कुद्स फ़ोर्स’ और उससे जुड़े मिलिशिया समूहों को निशाना बनाया गया है.
सीरिया और इराक़ में मिलाकर कुल 85 जगहों पर हमले किए गए हैं. इराक़ ने बताया है कि इन हमलों में कुल 16 लोगों की जान गई है और 25 लोग बुरी तरह से घायल हुए हैं.
इराक़ ने कहा है कि इन हमलों के ‘विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.’
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है, ‘आगे भी ये हमले जारी रहेंगे और उनका स्थान और वक़्त हम अपने हिसाब से चुनेंगे.’
रविवार को जॉर्डन में अमेरिकी के सैन्य अड्डे ‘टावर 22’ में एक ड्रोन हमला हुआ था. इस हमले में तीन सैनिकों की मौत हो गई थी और 40 ज़ख़्मी हो गए थे.
इस हमले के लिए अमेरिका ने ईरान को ज़िम्मेदार बताते हुए ‘गंभीर नतीजे भुगतने’ की धमकी दी थी.
हालांकि, ईरान ने हमले के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि वह ‘प्रतिरोध करने वाले समूहों की ओर से किए जाने वाले फ़ैसलों में शामिल नहीं होता.’
ताज़ा हमलों पर ईरान की ओर से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है.
अमेरिका ने क्या बताया
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉएड ऑस्टिन ने एक बयान जारी करते हुए इन हमलों की जानकारी दी.
उन्होंने कहा, “अमेरिकी सैनिकों की जान लेने वाले हमले के जवाब में अमेरिकी सेनाओं ने इराक़ और सीरिया में सात ठिकानों में 85 लक्ष्यों को टारगेट बनाया है
बयान में कहा गया, “ये वो जगहें थीं,जहां से ईरान के इस्लामिक रेवल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे जुड़े मिलिशिया समूह अमेरिकी सैनिकों पर हमले करते थे.”
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने आईआरजीसी और अन्य समूहों पर और कार्रवाई करने के भी हुक्म दिए हैं.
ऑस्टिन ने कहा,”मैं अमेरिकी सेना पर हमलों को बर्दाश्त नहीं करूंगा. हम अमेरिका, अपने सैनिकों और अपने हितों को बचाने के लिए हर ज़रूरी क़दम उठाएंगे.”
बताया जाता है कि कि ये हमले तीस मिनट के अंदर किए गए.
उनके मुताबिक़, अमेरिकी अधिकारियों को लगता है कि ये हमले सफल रहे हैं. हालांकि, अभी यह अनुमान किया जा रहा है कि इनसे कितना नुक़सान पहुंचा है.
अमेरिका ने फिर बोला है कि वह ईरान के साथ किसी तरह का संघर्ष नहीं चाहता.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ये हमले इस क्षेत्र में इन गुटों की हमले करने की क्षमता कम करने के लिए किए गए हैं.
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि आने वाले समय में और कार्रवाई की जाएगी. उनका कहना था कि ‘ये हमले तो पहला जवाबी कारवाही है.’
उन्होंने कहा, “हमले करते समय यह ख़्याल रखा गया कि आम लोगों को नुक़सान न पहुंचे. हमने सुबूतों के आधार पर ये कार्रवाई की. इन जगहों को अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था.”
किर्बी ने कहा कि अमेरिका ने 28 जनवरी के बाद ईरान से कोई संवाद नहीं किया है. 28 जनवरी को ही जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों पर हमला हुआ था.