Site icon

अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में जेल से अंतरिम जमानत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत याचिका को मंजूरी देकर उन्हें एक जून तक की जमानत दी है।

ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ एक हलफनामा दाखिल किया, लेकिन इसका विचार कोर्ट ने किया और उन्हें अंतरिम जमानत दी गई। हलफनामे में कहा गया है कि किसी राजनेता को किसान या व्यापारी के साथ विशेष व्यवहार नहीं करना चाहिए।

इस समय के मामले में यह अंतरिम जमानत का फैसला आम है, और कोर्ट ने यह तय किया है कि यह गलत मिसाल नहीं कायम करेगा। अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं।

फोटो : x

संघीय जांच एजेंसी ने अंतरिम राहत का विरोध करते हुए कहा कि इससे गलत मिसाल कायम होगी. केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी. आप प्रमुख को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं।

अरव‍िंद केजरीवाल की अंतर‍िम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने द‍िया है. इससे पहले, पीठ में शामिल न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने संकेत दिया कि वह मौजूदा आम चुनावों के मद्देनजर आप नेता को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा कि यह असाधारण स्थिति है और सीएम केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं.

प्रीम कोर्ट में दाख‍िल हलफनामे में जांच एजेंसी ने केजरीवाल के ख‍िलाफ दी ये 6 दलीलें काम नहीं आईं

1- ईडी ने कहा था कि सामान्य नागरिक की तुलना में एक राजनेता किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता. अपराध करने पर उसे किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.

2- ईडी के उप निदेशक द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि किसी राजनेता के साथ किसान या व्यवसायी से अलग व्यवहार किया जाना उचित नहीं है.

3- हलफनामे में कहा गया है कि यदि चुनाव प्रचार को अंतरिम जमानत का आधार बनाया जाएगा, तो यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. इसी आधार पर किसी अपराध में जेल में बंद किसान भी फसल की कटाई के लिए व किसी कंपनी का निदेशक कंपनी की वार्षिक आम बैठक में भाग लेने के लिए जमानत मांग सकता है.

4- एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार न मौलिक, न संवैधानिक और न ही कानूनी अधिकार है.

5- हलफनामे में कहा गया है कि अब तक किसी भी राजनीतिज्ञ को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है.

 

6- इसके अलावा, ईडी ने तर्क दिया कि पांच वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाएगी, तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता या न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि चुनाव पूरे साल होते रहते हैं.

Exit mobile version