सोमवार को भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर हुई डील के बाद, अमेरिका को चिंता हो गई है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत के नाम लिए बिना एक धमकी जारी की है, कहते हुए ‘कोई भी’ जो ईरान के साथ व्यापार कर रहा है, उन्हें ‘प्रतिबंधों के संभावित खतरे’ के बारे में सतर्क रहना चाहिए।
इस बयान के बाद, विशेषज्ञों ने उसे फटकार लगाई है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और जेएनयू के प्रोफेसर हपेन जैकब ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह दोहरा मापदंड है और दोस्त देश एक-दूसरे के खिलाफ ऐसा नहीं करते।
अमेरिका ने अपने धमकी भरे बयान को तब जारी किया जब खुद उसने 2018 में भारत को चाबहार बंदरगाह को लेकर छूट दी थी।
वास्तव में, अमेरिका के यह कदम उस समय का परिणाम है जब तालिबान सरकार अफगानिस्तान में सत्ता में आई और ईरान के साथ चल रहे तनाव के बीच उसके सिद्धांतों में परिवर्तन हुआ है। अमेरिका चाहता है कि तालिबान सरकार से भारत दूरी बनाए रखे।
इसी के साथ, भारत ने अपनी दृष्टि को बनाए रखते हुए अफगानिस्तान में राजनयिकों को पुनः तैनात किया है। यह नहीं, तालिबान ने पाकिस्तान के कराची पोर्ट से अपनी निर्भरता को खत्म करने के लिए चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर के निवेश का ऐलान किया है।
इन सभी परिस्थितियों में, अमेरिका खफा है और उसका पाकिस्तान के साथ रिश्ता मजबूत हो रहा है। इस संदर्भ में, अमेरिका ने सोमवार को पाकिस्तान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें टीटीपी आतंकियों को लेकर सहयोग का ऐलान किया गया है।
ईरान की योजना है कि वह रेलवे के जरिए अपने चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ दे ताकि मध्य एशिया तक आसानी से व्यापार का रास्ता खुल जाए। अमेरिका ने कहा कि अफगानिस्तान के विकास के लिए इस छूट को दिया गया है। चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट अगर सफल होता है तो भारत का रूस, अजरबैजान, मध्य एशिया और यूरोप तक रास्ता खुल सकता है। साल 2018 में छूट देने वाला अमेरिका अब साल 2024 में भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर धमकाने में जुट गया है। असल में अमेरिका जब तक अफगानिस्तान में फंसा हुआ था तब तक वह चाहता था कि भारत अफगानिस्तान में निवेश बढ़ाए और उसकी मदद करे। इजरायल-अमेरिका की परेशानी बढ़ाएगा ईरान का नया प्लान, कई देश साथ अमेरिका ने क्यों बदल दिए हैं सुर ? अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने और ईरान के साथ चल रहे तनाव के बीच उसके सुर बदल गए हैं। अमेरिका चाहता है कि तालिबानी सरकार से भारत दूरी बनाए।
वहीं भारत ने ऐसा नहीं करते हुए अफगानिस्तान में राजनयिकों को फिर से तैनात किया है। यही नहीं तालिबान ने पाकिस्तान के कराची पोर्ट से अपनी निर्भरता को खत्म करने के लिए चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर के निवेश का ऐलान किया है। इन सबसे अमेरिका खफा है और वह पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है। पाकिस्तान और अमेरिका ने सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसमें टीटीपी आतंकियों को लेकर सहयोग का ऐलान किया है। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी आतंकियों को तालिबानी शरण दे रहे हैं