स्पेन को 2-1 से हराकर भारत ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता . पिछले तोक्यो ओलंपिक में भी हमने हॉकी का कांस्य पदक जीता था. …तो इसका मतलब ये है कि भारतीय हॉकी सही दिशा में जा रहा है और इंडियन हॉकी के अच्छे दिन भी अब फिर लौट आएंगे. भारतीय हॉकी टीम ने इस बार पूरे पेरिस ओलंपिक में जो खेल दिखाया, वो गजब का कारनामा रहा है.
हर भारतीय हॉकी प्रेमी को इससे टीम पर गर्व हो गया है. भारत ने इस बार अगर आस्ट्रेलिया, ग्रेट ब्रिटेन जैसी बड़ी टीमों को हराया. सेमीफाइनल में पहुंची. बेशक सेमीफाइनल में हम हारे लेकिन आखिरी मैच में अछा खेले.
इसे भविष्य के लिहाज से देखें तो कहा जा सकता है कि भारतीय हॉकी के आने वाले दिन यकीनन बेहतर होंगे. ये भी तय है कि पटरी से उतरा हुआ हमारा राष्ट्रीय खेल फिर से अपने पुराने दिनों की ओर लौटने लगा है.उम्मीद करनी चाहिए कि भारतीय हॉकी में अब पैसा आएगा और ये लोगों के दिलों की धड़कन बनेगी.
हाकी खिलाड़ी. (AP)
सफलता लोकप्रियता भी बढ़ाती है
हॉकी की लोकप्रियता और आम जनता के बीच उसकी दीवानगी की जगह बेशक क्रिकेट ने ले ली है लेकिन ऐसा नहीं है कि हॉकी की अहमियत हमारे लिए कम हुई है. यकीनन सफलता और लोकप्रियता के बीच एक रिश्ता होता है. जब हम सफल होते हैं, जीत हासिल करते हैं तो यकीनन खेल प्रेमियों के बीच लोकप्रियता और जुड़ाव की कड़ियां भी मजबूत होती चली जाती हैं.
हॉकी अब टीवी पर भी हिट है
आजकल के दौर के हिसाब से देखें तो खेलों में सफलता के जरिए टीवी से लेकर बाजार के बीच कोई खेल अपनी जगह बनाए रख सकता है. बाजार और टीवी जब किसी खेल को तवज्जो देने लगते हैं तो खेलों से जुड़े संसाधनों, नेटवर्क, खिलाड़ियों को मिलने वाली सुख सुविधाओं, पैसे सभी के दिन अच्छे दिन आ जाते हैं।. इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में हॉकी को लेकर बहुत बेहतर काम हर स्तर पर हुए हैें.
भारतीय हॉकी ग्रासरूट लेवल पर जिंदा हो रही है
भारतीय हॉकी की जो नर्सरी गायब हो गई थी, उसे फिर से बहाल करने का जो कार्यक्रम पिछले बरसों में शुरू हुआ था, वो रंग दिखाने लगा है. 70 और 80 के दशक तक शहरों के मैदानों में लोग खूब हॉकी खेलते हुए मिल जाते थे. पिछले तीन चार दशकों में इसका लोप हो गया. उसकी जगह हर गली मोहल्ले में क्रिकेट नजर आने लगी. उम्मीद करनी चाहिए कि अब हॉकी भी इसी तरह नजर आएगी.