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राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’ से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को होगा फायदा ?

 अब ये नई यात्रा मणिपुर से लेकर मुंबई तक होने वाली है.

भारत में इसी साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले सभी पार्टियों ने जनता को ललचाने की अपनी कोशिशें तेज कर दी है. एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी सोमवार को होने वाले राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए काफी उत्साहित है और उसकी तैयारी में जुटे हुए हैं.

तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी ने 14 जनवरी से एक नई यात्रा शुरू की है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में हैं.भारत जोड़ो न्याय यात्रा इम्फाल, कोहिमा, गुवाहाटी, पूर्णिया, बरेली से होकर उज्जैन, बनसुवरा होते हुए मुंबई पहुंचेगी. 6700 किमी की 66 दिनों की ये यात्रा 15 राज्यों, 110 जिलों, 100 लोकसभा सीट और 300 से ज्यादा विधानसभा सीटों को कवर करेगी.

भारत जोड़ो यात्रा पूरी पैदल तय की गई थी वहीं भारत जोडो न्याय यात्रा हाइब्रिड होगी. जिसका मतलब है कि इस दौरान राहुल गांधी कहीं-कहीं बस से यात्रा करेंगे तो कहीं- कहीं पैदल. ऐसा मानना है कि राहुल गांधी की पहली यात्रा से जनता के बीच उनकी छवि बेहतर हुई है और भारत जोड़ो यात्रा के कारण राहुल का राजनीतिक कद  और  भी बढ़ा है. यही कारण है कि इस यात्रा का दूसरा चरण सामने आया है.

बीबीसी की एक रिपोर्ट में पत्रकार और लेखिका नीरजा चौधरी इसी सवाल का जवाब देते हुए कहती हैं कि, “किसी भी लोग को ये अच्छा लगता है कि कोई राजनेता उनके पास पहुंचे और उनकी बात सुने. लेकिन इससे ये नहीं कहा जा सकता कि इस यात्रा के बाद लोग चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में बाहर आएंगे.

  मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, तेलंगाना और त्रिपुरा  में  विधानसभा चुनाव हुए थे. इनमें केवल कर्नाटक और तेलंगाना में ही कांग्रेस को जीत मिली बाकी राज्यों में बीजेपी का बोलबाला दिखा. अब ये तो हो गई विधानसभा चुनाव वाले राज्यों की बात. अब उन राज्यों की बात करते हैं जहां से भारत जोड़ो यात्रा निकली.

तो भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक तेलंगाना मध्यप्रदेश राजस्थान इन सबसे होकर गुज़री थी. राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो राहुल गांधी ने 10 से ज्यादा दिन बिताये थे उसके बाद भी कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में हार मिली.राजस्थान में कांग्रेस 69 सीट और मध्यप्रदेश में पार्टी 66 सीटों पर सिमट कर रह गई.

हालांकि इन राज्यों में कांग्रेस की हार के कई और बड़े कारण भी थे जैसे पार्टी में अंतरिम विवाद, एंटी इंकम्बेंसी अदि. लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि राहुल गाँधी ने कोशिश जरूर की कि वो ग्राउंड जीरो पर लोगों से जुड़ पाए और लोग उनसे जुड़े भी लेकिन वो जुड़ाव वोट काउंट में नहीं बदल पाया.

साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर जीत  कर रह गई थी. वही  2019 में कांग्रेस ने हाफ सेंचुरी ज़रूरलगाई और पार्टी ने 52 सीटों पर जीत हासिल की.

वैसे बीते कुछ समय में कांग्रेस पार्टी के अंदर की हालत कुछ ठीक नहीं रही है. सिर्फ चुनाव ही नहीं बल्कि हाल ही में महाराष्ट्र के पार्टी के बड़े नेता मिलिंद देओरा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था और शिवसेना में शामिल हो गए. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने एक नई यात्रा की शुरुआत कर दी है. हालांकि ये यात्रा नार्थ ईस्ट से होते हुए हिंदी बेल्ट को छूते हुए महाराष्ट्र जाएगी. वैसे तो ये यात्रा सीधे तौर पर 100 लोकसभा सीटें कवर करेगी लेकिन जिन भी राज्यों से ये यात्रा गुज़र रही है उनकी लोकसभा सीट देखे तो ये नंबर 200 से भी ज्यादा है. जिसमें अगर खासतौर पर नार्थ ईस्ट की बात करें 7 सिस्टर और सिक्किम मिला कर 25 लोकसभा सीटें हैं.

जिनमें अरुणाचल प्रदेश में 2, त्रिपुरा में 2, असम में 14, मणिपुर में 2, मेघालय में 2, मिजोरम में 1, नागालैंड में 1 और सिक्किम में 1 सीटे है. हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में कांग्रेस इन राज्यों में केवल 4 सीटें ही जीत पाई थी. जिसमें से 3 सीटें असम की और एक मेघालय की थी. जबकि बीजेपी ने अकेले 14 सीटों पर जीत हासिल की और NDA को 18 सीटों पर जीत मिली थी.

न्याय यात्रा भारत जोड़ो यात्रा से कितना अलग अब वापस आते हैं राहुल गांधी पर तो उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत से पहले ही कहा था कि ये न्याय कि यात्रा है. जैसे पिछली बार भारत जोड़ो यात्रा को उन्होंने नफरत के बाजार में प्यार बांटने की यात्रा बताई थी और इसलिए ये न्याय की यात्रा शुरू भी मणिपुर से हो रही है, क्योंकि मई 2023 से मणिपुर में हिंसा हो रही है और उस पर सत्ताधारी पार्टी कुछ खास बोल नहीं रही. प्रधानमंत्री ने भी मणिपुर को लेकर अपनी चुप्पी तब तोड़ी जब पार्लियामेंट में नो कॉन्फिडेंस मोशन लाया गया. लेकिन, राहुल गांधी ने अपनी यात्रा की शुरुआत यहां से करके एक बात तो बताया है कि वो न्याय को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, जो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए एककमजोर  पॉइंट है. भारत जोड़ो यात्रा से भी भले ही कांग्रेस को चुनाव में फायदा नहीं मिला हो लेकिन लोग राहुल गांधी से कंनेक्ट जरूर हुए.

राहुल गांधी की ये यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि भारतीय जनता पार्टी को कैसे लगातार तीसरे आम चुनाव को जीतने से रोका जाए. चुनाव से पहले हुए तमाम सर्वे इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस बार के चुनाव से पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता हैं.

इतना ही नहीं पिछले साल हुए पांच विधानसभा चुनाव में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मिली जीत के बाद बीजेपी की अब 28 में से 12 राज्यों में सरकारें हैं. जबकि चार ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी गठबंधन में सत्ता में है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की तीन राज्यों में सिमट कर रह गई है. इसमें तेलंगाना में मिली ताज़ा जीत भी शामिल है.

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी के पीएम रहते हुए भारत कमजोर हुआ है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि एनडीए की सरकार में लोकतांत्रिक अधिकारों, सरकारी संस्थानों का नाश हुआ है. इतना ही नहीं अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्ग के खिलाफ नफ़रत और हिंसा बढ़ी है.

जबकि भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारतीय विकास ने दुनिया में अपना सिक्का जमाया है और करोड़ों लोगों के जीवन में असल सुधार पहुंचा है.

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