बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता सुशील मोदी ने राजनीति से संन्यासका ऐलान कर दिया है। लोकसभा चुनाव के बीच उन्होंने यह एलान किया है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने स्पष्ट लिखा कि पिछले छह माह से कैंसर से लड़ रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित। वहीं सुशील मोदी के इस घोषणा के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरीय नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हूं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चुनाव में उनकी बहुत कमी खलेगी।
1990 में विधायक बने
बताया जा रहा है कि पूर्व उपमुख्यंत्री सुशील मोदी गले के कैंसर से पीड़ित हैं। फिलहाल, वह दिल्ली एम्स में अपना इलाज करवा रहे हैं। सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे। यह तीनों नेता जेपी आंदोलन की उपज माने जाते हैं। सुशील मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति की शुरु की। इसके बाद युवा नेता के रूप में पहचान बनाई। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढता ही चला गया।
2004 में लोकसभा गए थे
2004 के लोकसभा चुनाव में सुशील मोदी भाजपा के टिकट पर भागलपुर से MP बने। 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। सुशील मोदी 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के वित्त मंत्री रह चुके हैं। 2020 में जब फिर से एनडीए की सरकार बनी तो सीएम नीतीश कुमार चाहते थे कि सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनें। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। कहा यह भी जा रहा है कि इस बार जो नीतीश कुमार एनडीए में फिर से शामिल हुए, उसके पीछे सुशील मोदी की अहम किरदार थी।