शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे। राज्य सरकार ने उनके निवेदन को स्वीकार कर लिया है। आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी अनुसार केंद्र में उनके पदस्थापन की सूचना के तुरंत बाद सामान्य प्रशासन विभाग उन्हें विरमित किए जाने की अधिसूचना जारी करेगा।

kk  पाठक के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बिषय  में यह बताया गया कि उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के संबंध में राज्य सरकार को अनुरोध पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी। उनके लगातार अनुरोध पर राज्य सरकार ने गुरुवार को उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। केके पाठक अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी हैं इसलिए वह केंद्र में सचिव स्तर पर नियुक्त हो सकते हैं।खूब चर्चा में रहा केके पाठक का कार्यकाल

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का कार्यकाल खूब चर्चा  का विषय में रहा। पिछले कुछ हफ्ते से स्कूलों की समय  वाले प्रकरण में वह सदन में विपक्ष के निशाने पर थे। अपर मुख्य सचिव ने स्कूलाें की कार्य समाय के संबंध में यह निर्देश दिया था कि शिक्षक सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक स्कूल में  उपसस्थित   रहेंगे। शिक्षकों को इस टाइमिंग को लेकर आपत्ति थी। विधानसभा में विपक्ष ने केके पाठक के इस आदेश पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में खूब हंगामा किया था।स्कूल टाइमिंंग पर विवाद

इस पर मुख्यमंत्री ने सदन में यह कहा था कि स्कूलों कि समय  सुबह 10 बजे से चार बजे तक रहेगी। इस मामले में वह स्वयं  शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को बुलाकर निर्देश देंगे। इसके बाद भी स्कूलों की टाइमिंग काे लेकर कोई नया आदेस  जारी नहीं हुआ। इस पर गुरुवार काे विधानसभा में विपक्ष ने आसन के समक्ष नारेबाजी की और सदन का वाकआउट भी किया। बजट सत्र के दौरान दो से तीन बार यह विषय सदन में आया।

महागठबंधन की सरकार में भी kkपा ठक सुर्खियों में रहे। तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से उनकी नहीं बनी। वह बीच में छुट्टी पर भी चले गए थे। बाद में चंद्रशेखर से शिक्षा मंत्री का पद से हाटकर  कर आलोक मेहता को शिक्षा मंत्री बनाया गया। स्कूलों के लगातार निरीक्षण को लेकर केके पाठक चर्चा में थे। कुछ वर्ष पूर्व जब वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे थे तो शराबबंदी को सख्ती से लागू कराने को ले सरकार ने उन्हें मद्य निषेध विभाग का जिम्मा सौंपा था। वहां भी वह चर्चा में रहे। अपने निर्णय की अवज्ञा से उन्होंने उक्त विभाग को छोड़ दिया था।