तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने के बाद किसान एक बार फिर सड़कों पर उतार हैं। मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर उपज खरीद की गारंटी का कानून बने, यह उनकी सबसे बड़ी मांग है। सरकार 23 फसलों के लिए MSP तय करती है। इनकी पूरी उपज सरकार MSP पर खरीदे, तो उसे सालाना करीब 10 लाख करोड़ रुपये और इस में खर्च करने होंगे, ऐसा मोटा अनुमान बताया जा रहा है। यह बड़ी रकम है, यह देखते हुए कि वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट में कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर एलोकेशन ही 11.11 लाख करोड़ रुपये है और टोटल एक्सपेंडिचर 47 लाख 66 हजार करोड़ रुपये रखने की बात की गई है।
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने 6 फरवरी को एक सवाल के लिखित जवाब में लोकसभा को बताया था, ‘भारत सरकार फसल वर्ष 2018-19 से उत्पादन की ऑल इंडिया वेटेड ऐवरेज कॉस्ट पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ सभी फसलों का MSP तय कर रही है। 2022-23 में एक हजार 62 लाख 69 हजार टन अनाज MSP पर खरीदा गया। इसमें 2 लाख 28 हजार करोड़ रुपये लगे।’
अर्थशास्त्री और कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है, ‘किसान जो मांग कर रहे हैं, उसे पूरा करने पर डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपये का ही ज्यादा खर्च आएगा। मांग यह है कि MSP से नीचे सरकार ही नहीं, प्राइवेट सेक्टर भी खरीदारी न करे। यह मांग तो है ही नहीं कि सारा अनाज सरकार खरीदे। जब सारा अनाज सरकार को खरीदना ही नहीं होगा, तो 10-12 लाख करोड़ रुपये का फिगर कहां से आ रहा है?’
उन्होंने कहा, ‘जिन 16 फसलों की बात हमने की है, उनमें से 8 का भाव MSP से ऊपर था, लिहाजा सरकार के लिए इन्हें खरीदना जरूरी नहीं है। MSP से नीचे चल रही बाकी 8 फसलों की खरीदारी का असर ही सरकारी लागत में दिख रहा है।’
दरअसल, किसान जो भी उगाते हैं, वह पूरा का सारा बाजार में बिकने के लिए नहीं आता। जो हिस्सा बाजार में आता है, उसमें भी सरकार तब हस्तक्षेप करती है, जब भाव MSP से नीचे जाता है। ऐसे मामले में भी सरकार उस फसल की पूरी उपज नहीं खरीद लेती है। खरीद शुरू करती है। इसके चलते माग बढ़ती है और भाव MSP की ओर चढ़ने लगता है। इतने भर से असर पड़ जाता है। साल 2022 में सरकार ने 4.4 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले 1.9 करोड़ टन ही गेहूं खरीदा। 2023 में भी साढ़े 3 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले 2 करोड़ 60 लाख टन की सरकारी खरीद हुई
अभरेज दैनिक आय 27 रुपये क्यों?’
MSP की गारंटी पर जोर देते हुए देविंदर शर्मा ने कहा, ‘2018-19 में सिचुएशन असेसमेंट सर्वे फॉर एग्रीकल्चर हाउसहोल्ड किया गया। वही लेटेस्ट है। उसके मुताबिक, देश में किसान परिवार की औसत मासिक आय 10218 रुपये है। इस इनकम में खेती-बाड़ी के अलावा दूसरी गतिविधियों से कमाई भी शामिल है। आज किसान करीब साढ़े 32 करोड़ टन अनाज उपजा रहा है। 34 करोड़ टन फल-सब्जी का उत्पादन कर रहा है। फिर भी खेती से उसकी औसत दैनिक आय 27 रुपये ही क्यों है?’
शर्मा ने कहा, ‘दरअसल हमारा जो इकनॉमिक डिजाइन है, वह जानबूझकर किसानों की उपज का दाम कम रखता है ताकि कॉरपोरेट का प्रॉफिट बढ़ सके और लोग खेती-बाड़ी छोड़ें, तो इंडस्ट्री के लिए सस्ते मजदूर मिल सकें।’