यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने बताया है कि रूस के किए आक्रमण के कारण अब तक 31 हज़ार यूक्रेनी सैनिक मारे जा चुके गए हैं.
यूक्रेनी राष्ट्रपति का कहना है कि वो घायलों की संख्या नहीं बताएंगे क्योंकि इससे रूसी सेना को योजना बनाने में मदद मिलेगी.
आमतौर पर यूक्रेन की ओर से युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या नहीं बताई जाती है. हालांकि लोगों का मानना है कि ये संख्या काफ़ी ज़्यादा है.
ज़ेलेंस्की का ये बयान ऐसे वक़्त में आया है, जब कुछ दिन पहले ही यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने कहा था कि पश्चिमी देशों से मिलने वाली मदद में देरी के कारण यूक्रेन लोगों की ज़िंदगियां और क्षेत्र खो रहा है.
ऐसे में रविवार को ज़ेलेंस्की ने कहा कि वो रूस के बढ़ा-चढ़ाकर बताए जा रहे आँकड़ों के जवाब में मारे गए लोगों की संख्या बता रहे हैं.
ज़ेलेंस्की ने कहा, ”युद्ध में अब तक 31 हज़ार सैनिक मारे जा चुके हैं. न कि तीन या डेढ़ लाख या जो भी पुतिन और उनके झूठे लोग बता रहे हैं. लेकिन हर एक ज़िंदगी जो हमने खोई, वो हमारे लिए बहुत बड़ा नुक़सान है.”
रूसी नुक़सान के बारे में ज़ेलेंस्की ने क्या कहा
रूस और यूक्रेन के युद्ध को अब दो साल पूरे हो रहे हैं. फ़रवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया था.
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ज़ेलेंस्की ने युद्ध के बारे में कहा कि यूक्रेन के जिन इलाक़ों पर रूस ने कब्ज़ा किया है, वहाँ हज़ारों नागरिकों की जान गई है और सही संख्या के बारे में बता पाना मुश्किल है.
ज़ेलेंस्की बताते हैं, ”मैं नहीं जानता कि उनमें से कितने लोग मर गए, कितने लोग मारे गए, कितनों के साथ टॉर्चर किया गया और कितनों को डिपोर्ट किया गया.”
रूस से युद्ध में मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या अब तक यूक्रेन नहीं बताता रहा है. अनुमान लगाए जाते रहे हैं कि ये संख्या काफ़ी ज़्यादा हो सकती है.
अगस्त 2023 में अमेरिका के अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि क़रीब 70 हज़ार यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और एक लाख 20 हज़ार से ज़्यादा घायल हैं.
रूस के मारे गए सैनिकों के बारे में ज़ेलेंस्की ने कहा कि एक लाख 80 हज़ार रूसी सैनिक मारे गए हैं और हज़ारों सैनिक घायल हुए हैं.
बीबीसी की रूसी सेवा और मेडियाज़ोना वेबसाइट ने एक साझा प्रोजेक्ट के तहत क़रीब 45 हज़ार रूसियों की लिस्ट तैयार की है, जिनकी युद्ध के दौरान मौत हुई है. हालांकि अनुमान है कि ये संख्या काफ़ी ज़्यादा हो सकती है.
फ़रवरी में ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने अनुमान लगाया था कि क़रीब साढ़े तीन लाख रूसी सैनिक अब तक या तो मारे जा चुके हैं या घायल हैं.
यूक्रेन के रक्षा मंत्री की गुहार
यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने हाल ही में पश्चिमी देशों से सैन्य मदद में हो रही देरी का चर्चा किया था.
वो बोले थे- इस वक़्त सैन्य मदद वादे के हिसाब से नहीं मिल रही है.
यूक्रेन इन दिनों युद्ध के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहा है. रूस को अपने इलाक़ों से पीछे हटाने की कोशिशें भी नाकाम साबित हो रही हैं.
यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने कहा था कि ज़रूरत जितनी आपूर्ति ना मिलने पर यूक्रेन युद्ध के गणित में पिछड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ”हम हर संभव और असंभव चीज़ कर रहे हैं लेकिन समय से ना मिली मदद हमें नुक़सान पहुंचाती है.
नवंबर में जर्मनी ने आगाह किया था कि यूरोपीय संघ की ओर से मार्च तक जो सैन्य सामग्री देने की बात थी, वो पूरी नहीं हो पाएगी.
जनवरी में यूरोपीय संघ ने कहा था कि इनमें से सिर्फ़ आधी मदद डेडलाइन तक यूक्रेन में पहुंच पाएंगी और जिस मदद का वादा था वो 2024 तक भी यूक्रेन नहीं पहुंच पाएगी.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन रूस को बीते साल की तरह खदेड़ नहीं पा रहा है और इसकी वजह है हथियारों की कमी.
यूक्रेन रूस को जो सैन्य जवाब देने की कोशिश कर रहा है, वो नाकाम साबित हो रहे हैं.
ज़ेलेंस्की ने रविवार को कहा कि रूस को जवाब देने की कोशिशों की योजना किसी ने रूस को लीक कर दी थीं.
बीते सप्ताह ये घोषणा की गई थी कि पूर्वी शहर अविदवका यूक्रेनी सैनिकों के हाथ से निकल गया है. बीते कुछ महीनों में इसे रूस की बड़ी सफलता बताया गया है.
ज़ेलेंस्की ने इस बात के लिए पश्चिमी देशों से मिलने वाली हथियारों की कमी को आंशिक वजह बताया.
अमेरिका में बाइडन प्रशासन ने कहा है कि कांग्रेस में 60 अरब डॉलर का पैकेज रोके जाने से यूक्रेन के हाथ से ये शहर निकला है.
रूस की चुनौतियां
पश्चिमी देशों के नेताओं ने शनिवार को कीएव का दौरा किया था. ये नेता यूक्रेन के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यूक्रेन पहुँचे थे.
तब ये घोषणा किया गया था कि इटली और कनाडा ने यूक्रेन के साथ सिक्यॉरिटी डील साइन की है.
कनाडा के साथ हुई डील में तीन अरब कनाडाई डॉलर्स से यूक्रेन की मदद करने की बात की गई थी.
युद्ध के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना सिर्फ़ यूक्रेन नहीं कर रहा है.
पश्चिमी देशों के अधिकारियों के मुताबिक़, रूस के सामने भी हथियारों समेत सैन्य सामग्रियों की चुनौतियां हैं.
एक पश्चिमी देश के अधिकारी ने दावा किया है कि रूस जो हथियार ख़ुद देश में बनाता है वो युद्ध की ज़रूरतों के हिसाब से कम है.
इन अधिकारियों का कहना है कि गोला बारूद की आपूर्ति में इजाफा रूस सिर्फ़ तभी कर सकता है जब वो इनके विकल्पों की तरफ बढ़े. लंबे वक़्त में ये तरीक़ा काम नहीं आएगा.
रूस पर यूक्रेन की रणनीति
युद्ध के दो साल पूरे होने पर ज़ेलेंस्की ने 24 फ़रवरी को कहा था कि उनका देश रूस से लड़ता रहेगा, रूस यूक्रेन के लोगों को नहीं कुचल सकता.
हाल ही में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर नए सिरे से हमले किए हैं जबकि यूक्रेन की ओर से किए गए हमलों में से ज़्यादातर नाकाम रहे हैं.
अब जब ये युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर रहा है तो पर्याप्त सैनिकों को रखना भी दोनों देशों के लिए एक चुनौती होगी. फ़रवरी 2022 से पहले यूक्रेन की आबादी करीब 4.4 करोड़ थी.
एक अनुमान के मुताबिक़, क़रीब 60 लाख यूक्रेनियन देश छोड़ चुके हैं. हालांकि माना यह भी जा रहा है कि इनमें से कई लोग वापस आ गए हैं.
रूसी कब्जे और लगातार हमलों के कारण सैकड़ों हज़ार लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं. वहीं हज़ारों नागरिकों की मौत हुई है.
ऐसे में सैनिकों की संख्या बढ़ाना और उनको प्रशिक्षित करना एक चुनौती होगी. मार्शल लॉ के तहत, यूक्रेन ने 18 से 60 साल की आयु के पुरुषों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी है.
हाल ही मे यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने कहा था कि उनके देश को विदेश में रहने वाले यूक्रेनी पुरुषों को सैन्य ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने के लिए कहने की जरूरत पड़ सकती है.
वहीं रूस के पास बहुत बड़ी सेना और बड़ी आबादी है. यह आबादी 14 करोड़ से ज़्यादा है. दो साल के युद्ध में उसे भारी नुकसान भी हुआ है.