इस डील का मसौदा इसराइल, अमेरिका, क़तर और मिस्र ने तैयार किया है. इसके ब्योरे जारी नहीं किए गए हैं.रिपोर्टों के मुताबिक शुरुआत में बताया गया था कि इस मसौदे में छह हफ़्ते के संघर्ष विराम की बात रहेगी. ऐसा तब होगा जब फ़लस्तीनी क़ैदियों के बदले इसराइल के बंधक बनाए गए और लोगों को रिहा किया जाएगा.
इसराइल और अमेरिका दोनों ने ही इस मामले में अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वो हमास के जवाब की समीक्षा कर रहे हैं
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि बुधवार को वो इसराइल के अधिकारियों के साथ हमास की ओर से मिले जवाब पर चर्चा करेंगे. ब्लिंकन फिलहाल मध्य पूर्व का दौरा कर रहे हैं.
हमास के जवाब पर अमेरिकी रुख को लेकर ब्लिंकन ने कोई इसरा नहीं दिया है.
लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमास के प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
बाइडन ने हमास की मांग को ‘उम्मीद से कहीं ज़्यादा’ बताया है.
बाइडन की राय है कि हमास ने जो शर्ते रखी है, इसराइल का नेतृत्व आसानी से उस पर सहमत नहीं बनेगी .
हमास ने क्या रखी है मांग?
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके समूह ने मसौदे के जवाब में ‘सकारात्मक रुख’ दिखाया है.
उन्होंने बताया कि हमास ने ग़ज़ा के पुनर्निर्माण को लेकर कुछ संशोधन की मांग की है. इसमें यहां के निवासियों के उनके घर में वापसी और जो लोग विस्थापित हुए हैं, उनके के लिए इंतज़ाम करने की बात शामिल है.
हमास के अधिकारी ने बताया कि उनके संगठन ने युद्ध में घायल हुए लोगों के इलाज़, उनके घर लौटने और देश के बाहर के अस्पतालों में उनके इलाज़ को लेकर भी मसौदे में बदलाव की बात की है.
हमास को ये मसौदा करीब एक हफ़्ते पहले भेजा गया था. हमास के प्रतिनिधि ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उन्होंने जवाब देने में मंगलवार तक का वक़्त लिया क्योंकि मसौदे के कुछ हिस्से “स्पष्ट” नहीं थे.
क़तर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने हमास के जवाब को कुल मिलाकर ‘सकारात्मक’ बताया है.
ग़ज़ा में संघर्ष की शुरुआत सात अक्टूबर 2023 को तब हुई जब हमास ने सीमा पारकर इसराइल के दक्षिणी हिस्से में अभूतपूर्व हमला किया. इसमें करीब 1200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई. हमास के लड़ाके करीब 250 लोगों को अपने साथ बंधक बनाकर ले गए.
इसके जवाब में इसराइल ने ग़ज़ा में हमास के ठिकाने को निशाना बनाना शुरु किया. ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इसराइल के हमले में 27 हज़ार 500 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
इसराइल का रुख और नेतन्याहू की चुनौती
ग़ज़ा पट्टी में हमास का प्रशासन है. इसराइल और मिस्र ने साल 2007 से इसकी नाक़ेबंदी की हुई है. कई देशों ने हमास को ‘आंतकवादी संगठन’ घोषित किया हुआ है.
नवंबर 2023 में एक हफ़्ते तक युद्धविराम लागू था. तब इसराइली नागरिकों और विदेशी बंधकों को मिलाकर 105 लोगों को रिहा किया गया था. इसके बदले में इसराइल की जेलों में बंद 240 फ़लस्तीनियों को रिहा किया गया था.
हाल में आए बयान किसी नई डील के लागू होने में जटिलता पैदा कर सकते हैं.
इस हफ़्ते की शुरु में इसराइल के रक्षा अधिकारियों ने दावा किया था कि ग़ज़ा में हमास नेता याह्या सिनवार की तलाश में उनकी सेना ‘आगे बढ़ रही है.’
उधर, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर बाकी बंधकों को छुड़ाने के लिए घरेलू दबाव लगातार बढ़ रहा है.
अमेरिका क्यों लगा रहा है ज़ोर?
कहीं ये संकट की स्थिति पूरे इलाके को अपनी चपेट में न ले ले, इसे लेकर चिंता बढ़ रही है और इसका समाधान तलाशने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन तेल अवीव पहुंचे हैं.
उनके दौरे का मक़सद डील को लेकर प्रगति हासिल करना है.
अमेरिका लगातार इस कोशिश में जुटा है कि ये तनाव क्षेत्र में और आगे न फैले. पिछले हफ़्ते जॉर्डन में हुए ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत के बाद से ये कोशिश तेज़ हुई हैं.
जॉर्डन के ड्रोन हमले के बाद अमेरिका ने सीरिया और इराक़ में ईरान समर्थित मिलिशिया के ख़िलाफ़ हवाई हमले किए. अमेरिका ने चेतावनी दी कि आगे और भी हमले होंगे.
अमेरिका ग़ज़ा में युद्धविराम समझौते के लागू होने को इलाक़े में तनाव घटाने का सबसे वास्तविक तरीके के तौर पर देखता है.
इसराइल ने मंगलाव को इस बात की पुष्टि की कि ग़ज़ा में बाकी रहे 136 बंधकों में से 31 मारे जा चुके हैं.
इसराइल डिफेंस फ़ोर्सेज़ (आईडीएफ़) के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगरी ने बताया कि उनके परिवारों को इसकी जानकारी दे दी गई है.
उन्होंने कहा कि प्रशासन बाकी बचे बंधकों की वापसी की कोशिश में जुटा है.
हैगरी ने कहा, “ये नैतिक दायित्व है, राष्ट्रीय दायित्व है और अंतरराष्ट्रीय दायित्व है. ये हमारे घेरे में और हम इसी तरह अपना अभियान जारी रखेंगे.”