जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन, जेईई मेन पेपर 1 रिजल्ट जारी होने के बाद जो सवाल और आरोप सामने आ रहे हैं, उनमें से एक यह है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने आवेदन करने वाले 12 लाख से ज्यादा छात्रों में से एक शिफ्ट में ही करीब 24 प्रतिशत छात्रों की परीक्षा आयोजित की। जबकि एनटीए ने डाटा के साथ इन आरोपों को गलत बताया है। NTA का कहना है कि परीक्षा के शुरुआती दो दिनों में चार शिफ्ट में 65 प्रतिशत छात्रों की परीक्षा आयोजित करने की बात बिल्कुल गलत है।
जेईई मेन एग्जाम कुल 10 शिफ्ट में हुआ है और हर शिफ्ट में 9.9 प्रतिशत से लेकर 10 प्रतिशत तक छात्रों के लिए परीक्षा ली गई है। दसवीं शिफ्ट में यह नंबर 9.6 प्रतिशत रहा है। आरोपों के बारे में एनटीए के सीनियर अधिकारी का कहना है कि जिन 23 छात्रों को 100 पर्सेंटाइल स्कोर मिला है, उनमें से 14 छात्र 27 और 29 जनवरी की शिफ्ट के ही हैं। जबकि बाकी छह शिफ्ट में से 9 कैंडिडेट्स ने 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया है।
दरअसल एक यू ट्यूबर ने अपने वीडियो में कहा है कि NTA ने 27 जनवरी को पहली शिफ्ट में करीब 24 प्रतिशत छात्रों की परीक्षा आयोजित की, जो करीब 2.9 लाख स्टूडेंट्स होते हैं। जबकि एनटीए का कहना है कि पहले दिन दो शिफ्ट में 1.22 लाख और 1.25 लाख छात्रों की परीक्षा हुई है।
सवाल उठाए गए थे कि दो दिनों की शिफ्ट में ज्यादा कैंडिडेट्स रहे, जिससे कॉम्पिटिशन बढ़ गया। जबकि बाकी दिनों में कम कैंडिडेट्स होने से दूसरे छात्रों को फायदा मिला। इन सभी सवालों का जवाब देते हुए एनटीए सूत्रों ने कहा है कि हर एक शिफ्ट में करीब 10-10 प्रतिशत छात्रों की परीक्षा हुई है।
कई ऑनलाइन कोचिंग सेंटरों के साथ-साथ यू ट्यूब टीचर्स भी सोशल मीडिया पर यह सवाल उठा रहे हैं कि पेपर 1 के पहले दिन यानी 27 जनवरी की पहली शिफ्ट में सबसे ज्यादा छात्र (25 प्रतिशत ) बैठे थे। जिसके कारण इस शिफ्ट के छात्रों के बीच कॉम्पिटिशन बढ़ने से रिजल्ट पर असर पड़ा। 99-100, 98-99 और 97-98 पर्सेंटाइल स्कोर करने वाले छात्र सभी शिफ्ट से हैं। औसतन देखा जाए तो हर शिफ्ट से यह रेंज 9.3 प्रतिशत से 10.3 प्रतिशत है।
एनटीए ने कहा कि प्रतिशत की गणना जीआरई और जीमैट द्वारा अपनाई गई ग्लोबल प्रैक्टिस पर आधारित है और अब इसे सीएसआईआर और रेलवे भर्ती बोर्ड ने अपनी परीक्षाओं में भी अपनाया है।